बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

मुलाक़ात लाली से

प्यार बिना सब सूना
पटना में पली-बढ़ी रतन राजपूत को दिशा मिली दिल्ली आकर, तो अवसर मिले मुंबई में। वे दिल्ली में थियेटर से जुड़ी, तो मुंबई आने के बाद उन्हें अभिनय की दुनिया मिली। वे पर्दे पर तो आई धारावाहिक राधा की बेटियां कुछ कर दिखाएंगी से, लेकिन वे घर-घर की ललिया यानी लाली के रूप में पहचानी गई जी टीवी के सफल धारावाहिक अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो में लाली की भूमिका से। पिछले दिनों लाली यानी रतन राजपूत से तरंग ने किए कुछ सवाल यह जानने के लिए कि प्यार को लेकर उनका नजरिया क्या है? प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश..

आपकी नजर में प्यार के लिए कौन-सी ऋतु अच्छी होती है?
सच कहूं, तो प्यार किसी ऋतु का मोहताज नहीं होता, लेकिन हां, शरद ऋतु में मन ज्यादा रोमांटिक जरूर हो जाता है।
आप प्यार को कैसे परिभाषित करेंगी?
प्यार पूजा है। प्यार में बहुत कुछ पाने के साथ ही बहुत कुछ खोना भी पड़ता है।
सच्चा प्यार क्या है?
किसी को सच्चे मन से अपनाना ही सच्चा प्यार है। कभी-कभी मुसीबत क्यों बन जाता है प्यार? प्यार कभी मुसीबत नहीं बनता। ऐसा हमारी सोच की वजह से होता है।
एक समय में दो लोगों से प्यार करना सही है?
माता-पिता, भाई-बहन के बीच एक साथ प्यार होना स्वाभाविक है। हां, यदि बात लाइफ-पार्टनर को लेकर हो, तो यह गलत है।
जिससे प्यार हो, क्या शादी भी उसी से करनी चाहिए?
कोशिश तो यही होनी चाहिए।
प्यार में दिल की सुननी चाहिए या दिमाग की?
दोनों की सुनते हुए आगे उचित कदम बढ़ाना चाहिए।
क्या खुद से प्यार करना जरूरी है?
आप जब तक खुद से प्यार नहीं करेंगे, तो दूसरों से भी प्यार नहीं करेंगे।

प्यार से जुड़ी कोई सुहानी याद?
अभी तो कोई नहीं है। जब होगी तब जरूर बताऊंगी।
प्यार में पड़े लोगों को आप क्या सलाह देंगी?
वे एक-दूसरे को समझें। सफल जीवनसाथी बनने से पहले अच्छा दोस्त बनने की कोशिश करें। कोई दुविधा हो, तो बातचीत के जरिए उसे खत्म करें।
प्यार बिना जिंदगी क्या है?
कुछ भी नहीं। प्यार बिना जग सूना.. गीत तो आपने भी सुना ही होगा..!

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