सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

आज का विचार

उद्देश्य ही जीवन को सार्थक बनाता है, जैसे ऋतुएँ प्रकृति में छटाएँ बिखेरती हैं।
•रवीन्द्रनाथ टैगोर

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