शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

हँसगुल्ले

अनजान नौकर!

साहब (नौकर से) - क्या मैं तुम्हें गधा या उल्लू का पट्‍ठा लग रहा हूँ।
नौकर - साहब मैं इतनी जल्दी कैसे बता सकता हूँ। मैं तो कल ही नौकरी पर आया हूँ।
थोड़ी सी हँसी हो जाए

अमित सुमित से : यार यह बताओ कि तुमने अपनी उँगलियों पर ये नंबर क्यों लिख रखे हैं।
सुमित : तुझे इतना भी नहीं पता। मास्टरजी ने कहा कि गिनती उँगलियों पर होनी चाहिए।
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रोनू दादी माँ से : दादी माँ ठंड में मुझे ठंडे पानी से मुँह धोने को मत कहो। मुझे ठंड लगती है।
दादी माँ : पर बेटा हम जब तुम्हारी उम्र के थे तो ठंड के दिनों में भी चार बार ठंडे पानी से मुँह धोते थे।
रोनू : तभी तो आपका चेहरा इतना सिकुड़ गया है।

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मास्टरजी : सोनू तुम्हारा होमवर्क तुम्हारे पिताजी की हैंडराइटिंग में क्यों है?
सोनू : मास्टरजी वो मैंने कल पिताजी की पेन से होमवर्क किया था ना इसलिए।
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अन्नू : पापा यह पंखा बिजली से क्यों घूमता है?
पापा : क्योंकि बेटा बिजली में बहुत शक्ति होती है।
अन्नू : हमसे भी ज्यादा?
पापा : नहीं बेटा, हमारा दिमाग ज्यादा ताकतवर होता है।
अन्नू : तो पापा फिर दिमाग से पंखा क्यों नहीं चलाते!
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