सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

कविता

माँ! तुम केवल श्रद्धा हो...
तुम दुर्गा हो,
भवानी हो तुम!
ब्रिटिश सल्तनत को धूल चटाती,
झाँसी की रानी हो तुम!
सनातन कल्याणी हो तुम!!
माता जीजाबाई हो तुम,
हिन्दूपद-पादशाही के स्वप्न-दृष्टा
वीर शिवा की जन्मदात्री हो तुम!
मुगलिया-इरादों की काल रात्रि हो तुम!!
तुम किरण देवी हो,
अधम अकबर, की छाती पर चरण धरे-
रणचंडी हो, महाकाल हो तुम!
हल्दीघाटी के महासमर में-
प्रताप की तलवार, ढाल हो तुम!!
तुम अहिल्या, दुर्गावती हो तुम!
तुम सत्य सनातन, महासती हो तुम!
तुम केवल श्रद्धा हो -
माँ! तुम केवल श्रद्धा हो !!

सौजन्य से - देवपुत्र

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