गुरुवार, 29 मार्च 2012

आईपीएल की माया

टीम इंडिया ट्वेंटी-20 मैच खेलने दक्षिण अफ्रीका पहुंच गई है। गुरुवार को होने जा रहे इस मुकाबले के लिए टीम इंडिया का ऐलान एशिया कप के साथ ही कर दिया गया था। फिटनेस की वजह से पूर्व उप-कप्तान वीरेंद्र सहवाग को टीम के बाहर रखा गया था। लेकिन कुछ दिन बाद ही सहवाग ने खुद को आईपीएल खेलने के लिए फिट घोषित कर दिया। इलाज के लिए लंदन गए सचिन भी इस मैच में नहीं खेल रहे हैं। ये दोनों आईपीएल में खेलेंगे। महेंद्र सिंह धोनी ने भी आईपीएल के मद्देनजर थकान का मुद्दा परे रख दिया है। ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं।
टीम के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज सहवाग दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक मात्र टी-20 मैच खेलने के लिए तो अनफिट हैं, लेकिन आईपीएल खेलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। चयनकर्ताओं के इस फैसले ने बीसीसीआई को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि बोर्ड को इस बारे में सवालों के जवाब देने चाहिए।
सवाल है कि क्या सहवाग को कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ हुए झगड़े का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, या फिर यह आईपीएल के प्रायोजकों का दबाव है, जो कि सितारा खिलाड़ियों के बाहर होना सहन नहीं कर सकते। सवाल और भी हैं। वक्‍त-बेवक्‍त थकान की बात करने वाले धोनी भी कह रहे हैं कि आईपीएल से थकान नहीं होगी।

धोनी नहीं चाहते वीरू का साथ?
चयनकर्ताओं ने एशिया कप की टीम का ऐलान करने के साथ ही इस एकमात्र टी-20 के लिए टीम घोषित कर दी। तब बोर्ड ने यह तर्क दिया था कि सहवाग पीठ की जकड़न से जूझ रहे हैं और थोड़ा आराम चाहते हैं। वनडे मैचों में लगातार फ्लॉप होने के बाद सहवाग को आराम देने के नाम पर टीम से बाहर बैठा दिया गया।
जब बोर्ड के इस फैसले पर सवाल उठाए गए तो खुद सहवाग ने आकर यह सफाई दी कि उन्होंने ही बोर्ड से आराम मांगा है। लेकिन इसके पीछे एक कारण ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रोटेशन पॉलिसी को लेकर सहवाग और कप्तान धोनी के बीच विवाद भी रहा।

अब फिट हैं सहवाग, बनेंगे ऑलराउंडर
वीरेंद्र सहवाग अब हर बयान में एक बात कह रहे हैं, वो पूरी तरह फिट हैं और आईपीएल में अपनी टीम को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। सहवाग ने कहा है, मैं अब फ्रेश महसूस कर रहा हूं। यह कुछ दिनों का आराम मेरे लिए अच्छा रहा। अब मैं बल्ले के साथ-साथ गेंद से भी अपनी टीम की मदद करने को तैयार हूं। इस आईपीएल सीजन में आप मेरी गेंदबाजी का जलवा भी देखेंगे।

31 के लिए अनफिट, 5 तारीख के लिए फिट
हैरत की बात यह है कि बोर्ड ने फिटनेस के आधार पर सहवाग को एशिया कप और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 मुकाबले से बाहर रखा था। यदि सहवाग 30 मार्च को होने वाले मैच के लिए अनफिट हैं, तो वो महज 6 दिन में कैसे पूरी तरह फिट हो जाएंगे? दिल्ली डेयरडेविल्स को अपना पहला मुकाबला 5 तारीख को कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ खेलना है। और सहवाग आईपीएल के लिए जमकर अभ्यास भी कर रहे हैं। (तस्‍वीरें देखें)

आईपीएल की माया
आईपीएल क्रिकेट का एक ग्लैमरस रूप है। इसमें स्टार खिलाड़ियों की मौजूदगी जरूरी है। टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू ने सहवाग के आईपीएल खेलने और अंतर्राष्ट्रीय मैच से दूर रहने के पीछे आईपीएल के प्रायोजकों के दबाव को वजह बताया है।
सिद्धू ने बीसीसीआई पर निशाना साधते हुए कहा, "बीसीसीआई ने अपने खिलाड़ियों का सौदा स्पॉन्सर्स के साथ कर दिया है। मैदान पर सहवाग, सचिन तेंडुलकर जैसे बड़े नामों को दिखाने के लिए प्रायोजकों ने मोटी रकम बीसीसीआई को दी है। अब ऐसे में खिलाड़ी फिट हो या अनफिट, उसे तो खेलना ही होगा। इसलिए सिर्फ क्रिकेटर को दोषी ठहराना सही नहीं। इसके लिए बोर्ड भी जिम्मेदार है।"

सचिन का भी है यही हाल
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर पर भी आईपीएल का दबाव है। अपने पैर की उंगली का इलाज करवाने लंदन गए सचिन आईपीएल खेलने के लिए फिट बताए जा रहे हैं। सचिन को अपनी इस चोट के इलाज के लिए सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है। सर्जरी के बाद एक खिलाड़ी को फिटनेस दोबारा हासिल करने में 2 से 3 हफ्तों का समय लगता है। लेकिन सचिन 4 अप्रैल को होने वाले आईपीएल के उद्घाटन मैच और बाकी दूसरे मैचों में खेलेंगे। यह बयान बीसीसीआई और उनकी टीम मुंबई इंडियंस ने दिया है। मुंबई इंडियंस ने बुधवार को यह घोषित कर दिया कि सचिन पूरे आईपीएल-5 में खेलेंगे।

बुधवार, 21 मार्च 2012

यह कैसा प्यार है...

प्रेम अब भी हमारी कल्पना का सबसे नाजुक, खूबसूरत और अनूठा हिस्सा है। वक्त चाहे कितना भी बदल जाए, हम कितने ही आधुनिक, तेज और मशीनी हो जाएं, लेकिन प्रेम का अहसास एक-सा ही होता है। कहने को तो कहा जा सकता है कि समाज की दूसरी चीजों की तरह की प्रेम या रोमांस भी टाइम बीईंग हो गया है, लेकिन हकीकत ये है कि जीवन में जब प्रेम जैसा प्रेम दस्तक देता है तो अच्छे-अच्छे तीसमार खां इसकी मार से बच नहीं सकते हैं।

हां आजकल के युवा प्रेम के नाम पर डेटिंग-शेटिंग करते हैं, और मान लेते हैं कि वे प्रेम में कमिटमेंट नहीं करते हैं, लेकिन जब हकीकत में प्रेम होता है तो कमिटमेंट करें या न करें का सवाल उठता ही नहीं है। समर्पण अपने आप ही आ जाता है।

इंस्टेंट कॉफी, फास्ट फूड, फेसबुक, ट्विटर और नेट चैट के इस युग में प्रेम का अर्थ बदल गया है, कम-से-कम युवाओं के लिए। हालांकि प्यार और रोमांस के प्रति आकर्षण आज भी मौजूद है, लेकिन आज का युवा कमिटमेंट से डरता है। आज प्रेम और रोमांस का अर्थ युवाओं के लिए सिर्फ इतना ही रह गया है कि अपने-अपने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड के साथ हैंग आउट करना, फिल्म जाना, पब में बैठकर गप्प लड़ाना, गिफ्ट का आदान-प्रदान करना, कुछ देर के लिए किसी कोने में खो जाना और फिर ब्रेकअप कर दूसरे साथी की तलाश में जुट जाना।

असल में समाज जिस तेजी से बदल रहा है उतनी ही तेजी से युवा संबंध के अर्थ को पुनः परिभाषित कर रहे हैं। उनके लिए बिना किसी जिम्मेदारी वाले संबंध आसान और आरामदायक होते जा रहे हैं। दीर्घकालीन अफेयर उन्हें बोरिंग लगते हैं। उनके लिए संबंध स्वीट और शॉर्ट होने चाहिए। प्यार और रोमांस का युवाओं के लिए बस इतना-सा ही मतलब रह गया है। रोमांस भी शॉर्ट एंड स्वीट और लिव-इन भी।

आज का युवा न चाहता है और न ही उम्मीद करता है कि प्रेम जीवनभर का बोझ बन जाए। कमिटमेंट बदलते हैं, लोग बदल जाते हैं, और किसी को भी इससे शिकायत नहीं होती। दीर्घकालीन संबंध तेजी से इतिहास का हिस्सा बनते जा रहे हैं। युवा कमिटमेंट से बहुत अधिक डरे और सहमे हुए हैं और जब अफेयर गंभीर होने लगे तो उन्हें परेशानी होने लगती है। उन्हें लगता है कि परंपरागत और ओल्ड फैशंड अफेयर का मतलब गुलामी और स्वतंत्रता खो देना है।

आजकल बबलगम रोमांस का दौर है और इसमें लड़के और लड़किया दोनों ही की सोच एक जैसी है। जिस तरह आप बबलगम चबाते रहते हैं और जब मन भर जाता है तब उसे थूक देते हैं, उसी तरह रोमांस का भी यही किस्सा है। इसलिए आज के युग में कमिटमेंट का सिर्फ यही मतलब रह गया है कि फिल्में जाओ, पब और पार्टी में जाओ और अच्‍छे दोस्तों की तरह चिलआउट करो।

कुछ समय एक-दूसरे के साथ रहने के बाद नए डेट की तलाश पूरे जोश से शुरू हो जाती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इस बदलते दृष्टिकोण या व्यवहार का मुख्य कारण व्यक्तिगत स्वतंत्रता है, क्योंकि कोई भी अपनी आजादी नहीं खोना चाहता।

हालांकि इसका यह कतई मतलब नहीं है कि आज के सारे रिश्ते बबलगम की ही तरह हो गए हैं। आज भी ऐसे युवाओं की कमी नहीं है जो प्रेम और रोमांस को गंभीरता से लेते हैं। उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है सही साथी की तलाश। और तलाश खत्म होने पर जब उनका आपसी तालमेल बैठता जाता है तो फिर पीछे मुड़कर देखने की कोई आवश्यकता नहीं होती।
(webdunia.com)