सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

संपादक की ‍चिट्‍ठी

हार को भी जीत में बदलो
कभी-कभार किसी काम को करते हुए कुछ गड़बड़ हो जाती है। होती है ना? अनजाने में हुई गड़बड़ियों में धैर्य से काम लेने पर ऐसे में भी कोई रास्ता निकल ही आता है। मुश्किल आने पर सोच-विचारकर हार को जीत में बदला जा सकता है।
ऐसे टर्निंग प्वाइंट तभी आते हैं जब आप गलती सुधारने की कोशिश करते हैं। यह बात याद रहे कि हर हार से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। खेल के मैदान में दो टीमें खेलती हैं। जीतने वाली टीम का कप्तान तो आखिर में खुश रहता है पर हारने वाली टीम का कप्तान कहता है कि अगले मैच में हम अपनी कमियों को दूर करके जीतने की कोशिश करेंगे। जीतने की कोशिश ही तो जीत तक ले जाती है।
दो-चार कठिन सवाल आपसे हल नहीं होते। आपका मन पढ़ाई में नहीं लगता। 2-3 बार प्रयास करें और उनकी प्रैक्टिस करें। 5 सवालों के बाद खुद-ब-खुद आप उन्हें आसानी से हल करने लग जाएँगे। ध्यान रखिए दोस्तों कक्षा के आम सहपाठी और अव्वल आने वाले विद्यार्थियों में बस यही फर्क होता है।
परिस्थितियाँ कितनी भी विषम हों। यदि आप घबराकर और सिर पकड़कर बैठ गए तो इससे काम नहीं चलेगा। जो हो गया उसे भूलकर अब आप आगे सोचें कि अब क्या हो सकता है। निश्चित रूप से कोई न कोई हल निकल आएगा। आज हम जितने भी उद्योगपति, फिल्म स्टार या किसी भी शख्सियत के बारे में पढ़ते हैं।
इनके बारे में जानने पर हमें पता लगता है कि एक समय में इन्होंने भी काफी संघर्ष किया है। यह कोई अपने पहले प्रयास में ही सफल होकर निरंतर आगे नहीं बढ़ते रहे। इन्होंने भी नाकामियों का सामना किया। असफलता का मुँह देखा। लेकिन फिर उसी तत्परता से उठ खड़े हुए और परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। याद है न कि हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं।

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