सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

कविता

कविता की सहेली कविता

कविता के घर एक सहेली
उसकी कविता आई
उसी समय कविता ने अपनी
कविता उसे सुनाई
कविता ने अपनी कविता में
बात लिखी थी प्यारी
कविता जो लड़की है, उसने
मच्छरिया है मारी
मच्छरिया कविता को हर दिन
काटा ही करती थी
उसकी भन-भन सुनकर कविता
बहुत अधिक डरती थी
अब उसका डर दूर हो गया
यह भी कविता लिखती
कागज कलम लिए रहती है
कवियों जैसी दिखती
इसकी कविता छोटी होती
मीठी मिसरी जैसी
रसगुल्ले सी, कलाकंद सी
बिल्कुल चीनी जैसी
कविता की कविता सुन करके
सभी बजाते ताली
कविता की माँ खीर खिलाती
कविता को भर थाली।

सौजन्य से - देवपुत्र

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