बुधवार, 24 मार्च 2010

साहित्यिक कृतियां

मिलावट
मिसेज शर्मा ने झल्लाते हुए दूधवाले से कहा बार-बार कहने के बाद भी तुमने पानी मिलाना कम नहीं किया, अब तुम्हें तय करना है कि या तो मिलावट बन्द करो वरना मेरे यहां दूध देना ही बन्द कर दो।
दूधवाले ने कहा- मैडम आप दूध बारह रुपए लीटर ले रही हैं, और पानी पन्द्रह रुपए लीटर दुकानों पर बिक रहा है, अब आप ही बताओ दूध में पानी मिलाने से मेरा क्या लाभ होगा। पानी मिलाकर आपकी झिडकी सुनने से तो बेहतर है कि मैं बोतलबन्द पानी बेंच कर गुजारा कर लूंगा, कम से कम रोज-रोज झिडकी तो नहीं सुननी पडेगी।

चुभती बात
जूही, अमन आया है क्या? एक सवाल पूछना था उससे।
यहां तो नहीं आया। मैंने तो उसे एक सप्ताह से कालेज में भी नहीं देखा।
पर तेरे घर शाम को तो वह अक्सर आता था। गणित के सवाल तू उसी से तो समझती थी?
हां, पर अब वो नहीं आता। शायद एक महीना हो रहा है। हां, याद आया.. रक्षाबंधन के एक दिन पहले वो आया था।
अब क्यों नहीं आता? झगडा कर डाला क्या उससे?
मैं क्यों झगडूंगी उससे?
तू झगडालू जो है। सहेली मुस्कराकर बोली- हर बात में सबसे उलझती ही तो रहती है।

अच्छा, तू बडी शरीफ है।
जूही हंसी। फिर कुछ सोचकर बोली- अमन से मैं कभी नहीं झगडी। अपने सीनियर से कैसा झगडा यार? झगडा तो बराबर वालों में होता है। जैसे तेरा और मेरा।
कोई चुभती बात ही कह दी होगी।
उस दिन तो हमारे बीच कोई खास बात ही नहीं हुई थी। सहसा जूही याद करके बोली- मैंने एक सवाल पूछा था और फिर सिर्फ इतना कहा था कि कल रक्षाबंधन है भैया, जरूर आना।

सुन्दरता
स्कूल से कालेज तक और अब तो वह प्रोफेसर बन गई है, नेहा के गहरे सांवले रंग, चौडी नाक, मोटे होंठ और साधारण से कम अच्छे चेहरे के कारण कोई भी उससे निकटता बढाना नहीं चाहता था।
अब उसे कालेज के नये प्रिंसिपल साहेब के व्यवहार पर बहुत आश्चर्य हो रहा है, केवल उससे बातें ही नहीं करते हैं, उसको ऑफिस में चाय पिलाते हैं। नेहा की समझ काम नहीं कर रही है कि ये सब कुछ क्यों हो रहा है उससे तो दो प्यार के बोल भी घर वालों के अलावा कोई नहीं बोला है। वह दिन और रात इसके बारे में सोचती रहती, डरती रहती कि कहीं ये प्रिंसिपल उसका शोषण तो नहीं करेंगे।
एक दिन रविवार को जब प्रिंसिपल साहेब ने उसे घर पर शाम की चाय के लिये बुलाया तब नेहा ने मना कर दिया, लेकिन प्रिंसिपल साहेब ने कहा आपको मेरी माता जी ने चाय के लिये बुलाया है, फिर उसने धीमे से हां कर दी। उस दिन बहुत चिंतित और घबडाई हुई नेहा जब प्रिंसिपल साहेब के घर गई, दरवाजा खुला एक बूढी औरत और साथ में एक बदसूरत महिला ने उसका स्वागत किया, तब उसने अचंभित होकर पूछा- आंटी जी, आपने मुझे क्यों बुलाया है- चाय तो सर के साथ मैं कॉलेज में पी ही लेती हूं।
बूढी औरत ने नेहा का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- बेटी केवल चाय पिलाने के लिये नहीं बल्कि ये पूछने के लिये बुलाया है कि क्या तुम मेरे बेटे के साथ शादी करना पसंद करोगी?
नेहा के कानों को विश्वास ही नहीं हुआ। इधर-उधर देखा फिर घबडाकर बोली- इतने स्मार्ट सर मुझ जैसी साधारण से भी बद्तर लडकी के साथ शादी क्यों करना चाहते हैं? बेटी इसमें बहुत गहरा राज है जानना चाहती हो, तो जानो ये जो मेरी बदसूरत बेटी बैठी हुई है, इसको कई लडकों ने देखने के बाद अस्वीकृत कर दिया और इस बात से मेरा बेटा बहुत अपमानित हुआ फिर उसने कसम खाली कि मैं भी शादी तन की सुंदर नहीं मन की सुंदर लडकी के साथ करूंगा। इसी कारण बेटे ने सुंदर लडकियों के रिश्ते ठुकरा दिये। मेरे बेटे को तुम्हारे मन की सुंदरता ने बहुत प्रभावित किया है। उत्तर सुनकर नेहा को लगा पहली बार जीवन में किसी ने उसके मन की सुंदरता को परखा है, पसंद किया है। लेकिन क्या यह सच है? हां जी कहकर नेहा ने आंटी के पांव छू लिये।

हमदर्दी
वर्मा जी अपनी पत्नी के साथ मोटर साइकिल पर जा रहे थे। जैसे ही वे कॉलोनी में घुसे कि सामने से एक कुत्ते ने भागकर सडक पार करनी चाही। वह मोटर साइकिल के आगे आ गया। उसको बचाने के चक्कर में वर्मा जी मोटर साइकिल को संभाल नहीं पाए और पत्नी समेत सडक पर गिर पडे। कुत्ता बच गया, लेकिन मोटर साइकिल से टकरा जाने के कारण वह चिल्लाने लगा। आस-पास के लोग घरों से बाहर निकल आए। भीड लग गई। उनमें से किसी ने वर्मा जी और उनकी पत्नी को उठाना-संभालना तो दूर, यह जानने की भी कोशिश नहीं की कि उन्हें कहीं कोई चोट तो नहीं आई। दूसरी ओर कुत्ते अपने साथी की हमदर्दी में लगातार भौंके जा रहे थे।

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