बुधवार, 31 मार्च 2010

कहानी

जैसी संगत वैसी रंगत
आपने यह कहावत तो सुनी होगी कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। इस कहावत का अर्थ यह है कि संगत का असर हर किसी पर कम या अधिक होता ही है। इस कहावत से मिलती-जुलती राय समाजविज्ञानियों और वैज्ञानिकों की भी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों की आदतों पर उनके भाई-बहनों और मित्रों के व्यवहार और तौरतरीकों का बहुत ज्यादा असर होता है। बच्चे ज्यादातर बातें अपने भाई-बहनों को देखकर ही सीखते हैं।
अमेरिका के इलिनोइस विश्वविद्यालय में बच्चों के विकास का अध्ययन करने वाली प्रोफेसर लॉरी क्रेमर का कहना है कि बच्चों पर सिर्फ माता-पिता की आदतों का ही प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि भाई-बहनों और दोस्तों की आदतों का भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
एकसाथ बड़े हो रहे चार भाइयों में से किसी एक में भी अगर बुरी आदत है तो दूसरों में वह आदत लग जाएगी जबकि अगर कोई एक भी पढ़ने और संगीत जैसी चीजों में रुचि रखता होगा तो दूसरों का ध्यान भी इस तरफ जाएगा।
चार में से एक भाई में भी गलत आदत है तो दूसरे भाई-बहनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। बहुत छोटी उम्र में बच्चे ज्यादातर चीजें अपने आसपास के बड़ों को देखकर ही सीखते हैं इसलिए अच्छी संगत जरूरी है। यह पते की बात है कि अगर आप घर में बड़े हैं और अपने छोटे भाई-बहनों को अच्छा व्यवहार करने की सीख देते हैं तो छोटों को समझने में देर नहीं लगेगी।
इसके अलावा अगर आप बड़े होकर कोई गलत आदत रखते हैं तो छोटे भाई-बहन बिना सिखाए भी वह सीख जाते हैं। कोई बात किसी को सिखाना जानकर किया जाने वाला काम है जबकि सीखना तो अनजाने भी होता रहता है। यह ठीक है कि छोटे भाई-बहन बड़ों से प्रेरणा लें, पर बड़ों की तरह अच्छे प्रदर्शन का दबाव छोटे बच्चों पर नहीं पड़ना चाहिए। छोटे बच्चों को बड़ों से सीख लेकर अपनी तरह से काम करना चाहिए। उन्हें किसी की नकल नहीं करना चाहिए पर अच्छी आदतों को अपने जीवन में उतारना भी नहीं छोड़ना चाहिए।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हर बच्चे की अपनी क्षमता और विशेषता अलग है और वह उसी के अनुसार प्रदर्शन करता है, पर अगर भाई-बहनों और दोस्तों से अच्छी बातें सीखने को मिलें तो उसका प्रदर्शन निखर भी सकता है। ऐसा हो तो कितना अच्छा! इसलिए आपको चाहिए कि भाई-बहनों और दोस्तों की अच्छी आदतों को अपनाएँ और बुरी आदतों से खुद को जितना बचाएँ उतना ही ठीक। अच्छी बातें कौन सी हैं और बुरी कौन सी यह तो आप भलीभाँति जानते ही हैं। और यदि नहीं जानते तो अपने माता-पिता से भी पूछ सकते हैं।

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