मंगलवार, 4 मई 2010
फ्लॉपी डिस्क
बॉय-बॉय फ्लॉपी
दोस्तो, हो सकता है आप में से कुछ को फ्लॉपी पर काम करने का भी एक्सपीरियंस हो, लेकिन अब फ्लॉपी को बॉय-बॉय कहने का वक्त आ गया है। फ्लॉपी बनाने वाली वर्तमान इकलौती कंपनी सोनी इलेक्ट्रॉनिक्स ने भी अगले साल मार्च 2011 से इसका प्रोडक्शन बंद करने का ऐलान किया है। दोस्तो, साल 2010 में जब दुनियाभर में फ्लॉपी डिस्क की 29वीं सालगिरह मनाई जा रही है, ऐसे में शायद कम्प्यूटर में रुचि रखने वाले हमारे फ्रेंड्स के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं होगी। 3.5 इंच की फ्लॉपी जल्द ही इतिहास तक सीमित हो जाएगी और आने वाली जेनरेशन इसके बारे में किताबों में ही पढा करेगी। फ्लॉपी को अलविदा कहने की वजह है न्यू एज और फास्टर टेक्नोलॉजी। थंब ड्राइव यानी ऑप्टिकल स्टोरेज पेन ड्राइव ने फ्लॉपी को बेरोजगार बना डाला। वहीं रही सही कसर कम्प्यूटर मैन्युफैक्चरर कंपनी डेल ने पूरी कर दी, जब साल 2003 में उसने अपने कम्प्यूटर्स में फिक्स्ड ड्राइव डिस्क यानी फ्लॉपी ड्राइव का इस्तेमाल बंद करने का ऐलान किया।
20वीं शताब्दी के आखिरी दो दशकों में फ्लॉपी का खूब बोलबाला था। उस वक्त न तो सीडी ड्राइव हुआ करती थी और न ही पेन ड्राइव। इंटरनेट भी उन दिनों इतना पॉपुलर नहीं था और क्लाउड कम्प्यूटिंग की कल्पना करने की बात भी बेमानी थी। उस वक्त में डाटा सहेज कर रखना बेहद मुश्किल हुआ करता था। ऐसे वक्त में फ्लॉपी अवतार बन कर उतरी। 1.4 एमबी की डाटा स्टोरेज वाली फ्लॉपी में हालांकि आज की पेन ड्राइव जितना डिस्क स्पेस नहीं था, लेकिन उस समय के लिहाज से यह काफी ज्यादा था। उस दौरान फ्लॉपी का इस्तेमाल सिर्फ वर्ड डॉक्यूमेंट या लाइट वेट वाली पिक्चर्स को सेव करने के लिए ही किया जाता था। यहां तक कि कम्प्यूटर का बैकअप लेने में भी फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल होता था। साल 1981 में दुनिया की पहली 3.5 इंच की फ्लॉपी बनाने वाली सोनी इलेक्ट्रॉनिक्स ने पिछले साल तकरीबन सवा करोड फ्लॉपी बेची, लेकिन घाटे के चलते उसे फ्लॉपी बिजनेस को बंद करने का फैसला लेना पडा। इससे पहले जबरदस्त घाटे के चलते उसे पिछले साल सितंबर में यूरोपियन बाजार में भी फ्लॉपी प्रोडक्शन बंद करना पडा था। हालांकि अभी तक फ्लॉपी मैन्युफैक्चरिंग कारोबार में सिर्फ सोनी ही अकेली कंपनी बची थी, जबकि बाकी सभी कंपनियां यह कारोबार कभी का समेट चुकी थीं।
फ्लॉपी का इतिहास
1971 में आईबीएम की इंजीनियरिंग टीम के लीडर अलान शुगार्ट की देखरेख में सबसे पहली फ्लॉपी डिस्क ईजाद हुई। इसका आकार 8 इंच का था और यह प्लॉस्टिक से बनी थी। डिस्क के लचीलेपन को देखते हुए इसका नाम फ्लॉपी रखा गया। उसके बाद 1976 में वांग लेबोरेट्रीज के लिए अलान शुगार्ट ने 5-1-4 इंच के आकार वाली फ्लेक्सिबल फ्लॉपी डिस्क तैयार की। वांग अपने डेस्कटॉप कम्प्यूटर्स के लिए फोल्ड नैपकिन के साइज की छोटी फ्लॉपी डिस्क और ड्राइव तैयार करना चाहते थे। उसके बाद 1981 में सोनी ने पहली बार साढे तीन इंच के आकार वाली फ्लॉपी डिस्क डेवलप की।
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