रविवार, 2 मई 2010

बाघ


वर्चस्व की जंग में मर रहे हैं बाघ
उत्तराखंड स्थित टाइगर रिजर्व जिम कार्बेट पार्क में बाघों की घनी आबादी ही उनकी मौत का कारण बन रही है। छोटी जगह पर बड़ी आबादी के कारण इस साल अब तक इलाकाई वर्चस्व की लड़ाई में चार बाघ मारे जा चुके हैं।
भारतीय वन्य जीव बोर्ड के सदस्य तथा जिम कार्बेट पार्क के मानद वार्डन बिजेन्द्रसिंह के अनुसार इस वर्ष अब तक शेरों के लिए विश्व में सबसे माकूल माने जाने वाले अभ्यारण्य कार्बेट टाइगर रिजर्व में चार बाघ मारे जा चुके हैं।
गत वर्ष पूरे प्रदेश में कुल नौ बाघ मारे गये थे, जबकि मारे जाने वाले तेंदुओं की संख्या इससे कहीं अधिक थी।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन वी.बी.माथुर के अनुसार इस टाइगर रिजर्व में बाघों की अच्छी खासी संख्या के बावजूद यहाँ लगभग हर माह एक बाघ कम हो रहा है।
बिजेन्द्रसिंह के अनुसार बढ़ती संख्या भी बाघों की मौत का कारण बन रही है। इसके लिए क्षमता से अतिरिक्त वन्य जीवों को अन्य क्षेत्रों में शिफ्ट करने का सुझाव भी दिया जा रहा है। इस पार्क में बाघों की संख्या उनके लिए तय भौगोलिक क्षेत्र के मानक से अधिक हो गई है।
संख्या बढ़ने के कारण बाघों में वर्चस्व को लेकर भी जंग छिड़ रही है और इस जंग में कई बाघ मारे जा रहे हैं।
वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार, उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश में लगभग 32 शेर मर गए हैं, और इनमें से कई शेर इलाके पर अपने अधिपत्य को लेकर हुए संषर्ष में मारे गए हैं।
वन्य जीव संस्थान द्वारा पूर्व में कराई गई एक गणना में कार्बेट में 200 वर्ग कि.मी. पर 77 बाघ पाए गए थे, जो कि दुनिया में बाघों का सबसे अधिक घनत्व था।
वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. वाईवी झाला के अनुसार एक बाघिन के लिए 50 वर्ग कि.मी. का एक आदर्श इलाका होता है। इसी तरह बाघ के लिए लगभग 300 वर्ग कि.मी. का इलाका उपयुक्त होता है ताकि उसे भरपूर मात्रा में शिकार मिल जाए।
बाघों के अलावा उत्तराखंड स्थित कार्बेट एवं राजाजी नेशनल पार्क हाथियों के लिए भी अच्छे प्रवास स्थल हैं। पिछली वन्य जीव गणना के अनुसार राज्य में कुल 1510 हाथी मौजूद हैं। लगभग 820 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैले राजाजी नेशनल पार्क में भी हाथियों की संख्या उनके लिए तय मानकों के अनुसार भौगोलिक क्षेत्र से अधिक मानी जा रही है।
बिजेन्द्र सिंह के अनुसार राजाजी पार्क में हाथियों के लगभग 300 झुंड हैं, जो पानी की कमी व भोजन की तलाश में निकटवर्ती आबादी क्षेत्र में घुस रहे हैं। जिस कारण मानव से उनका संघर्ष बढ़ रहा है।

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