टाटा परिवार की अमूल्य कलाकृतियाँ
कारोबार के साथ ही टाटा परिवार को शुरुआत से ही कला के प्रति लगाव रहा। यही वजह थी कि वह जहाँ भी जाते अमूल्य कलाकृतियाँ लेकर आते थे। टाटा परिवार ने अपनी अमूल्य कलाकृतियाँ मुंबई के छत्रपति शिवाजी म्यूजियम को दे दी थी। उन्हीं कलाकृतियों के साथ कुछ नई कलाकृतियों को मिलाकर इस्ट मीट्स वेस्ट नाम से प्रदर्शनी शुरू की गई है। यह प्रदर्शनी 6 जून तक चलेगी।
मुंबई में आने वाले सैलानियों के लिए शुरू से ही म्यूजियम एक आकर्षण रहा है। मुंबई के छत्रपति शिवाजी म्यूजियम (पहला नाम प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम) में प्रतिदिन सैलानियों और मुंबई वासियों की भीड़ रहती है।
म्यूजियम के वरिष्ठ संग्रहलयाध्यक्ष दिलीप रानाडे ने बताया, 'ईस्ट मीट्स वेस्ट' की शुरुआत हमने टाटा परिवार की कलाकृतियों पर आधारित सूचीपत्र के आधार पर की है। सूचीपत्र में कई ऐसी कलाकृतियाँ थीं जो अब तक लोगों के सामने नहीं आई हैं। सूचीपत्र की वजह से ही हमने 'ईस्ट मीट्स वेस्ट' गैलरी की योजना बनाई। म्यूजियम की पहली मंजिल पर अंतरराष्ट्रीय दर्जे की प्रेमचंद रायचंद गैलरी है। इसी गैलरी में हमने टाटा परिवार द्वारा दी गई चीजों में से 151 चीजें चुनकर उनकी प्रदर्शनी लगाई है। रतन टाटा और दोरबजी टाटा द्वारा म्यूजियम को दी गई चीजें हमने यहाँ पर रखी हैं।
रतन टाटा की 1918 में मृत्यु हुई लेकिन उसके पहले ही उन्होंने अपने मृत्युपत्र में लिखा था कि उनकी सभी कलाकृतियाँ म्यूजियम को दी जाएँ।
रतन टाटा की तरह दोराबजी टाटा ने भी 1933 में अपनी अमूल्य 1407 चीजें म्यूजियम को भेंट के रूप में दी थीं। टाटा परिवार के पास हर कला की कलाकृतियाँ इकट्ठा करने का बेहद शौक था। वर्ष 1912-13 में लंदन में आयोजित एक नीलामी में रतन टाटा ने कई यूरोपियन पेंटिंग खरीदी थीं। यह सभी पेंटिंग म्यूजियम में हैं। इन पेंटिंग से ही म्यूजियम का एक हॉल सजा है। यह सभी पेंटिंग बेशकीमती हैं और इससे यूरोपियन पेंटिंग शैली की जानकारी प्राप्त होती है। इस संग्रह में लंदन, इटालियन, डॉइश और फ्रेंच चित्रकारों की कृतियाँ शामिल हैं।
रतन टाटा ने 1906 में टिवेंकेनहैम में एक पैलेस खरीदकर उसमें अपनी सभी कलाकृतियाँ रखी थीं। उन्होंने इसे म्यूजियम का रूप दिया था। इसी पैलेस में इंग्लैंड की रानी ऑना का जन्म हुआ था। म्यूजियम की दूसरी मंजिल पर लगभग सभी चीजें टाटा परिवार द्वारा दी गई हैं। टाटा के पास चायनीज और जापानी बर्तनों का अभूतपूर्व संग्रहथा। उस पर की गई कारीगरी अचंभित करने वाली है। रतन टाटा की मृत्यु के बाद उनके नाम पर एक ट्रस्ट बनाया गया और रतन टाटा की पत्नी नवाजवाई ने रतन टाटा की यह अमूल्य कलाकृतियाँ म्यूजियम को भेंट तो की ही साथ ही पंद्रह हजार रुपए भी म्यूजियम को दिए ताकि इन्हें अच्छी तरह सँभाल कर रखा जाए।
'इस्ट मीट्स वेस्ट' प्रदर्शनी में प्रवेश करते ही सबसे पहले टाटा समूह के कारोबार, कला के प्रति उनका लगाव जैसी बातें दिखाई गई हैं। फिल्म देखने के बाद टाटा समूह के प्रति सम्मान जगता है और उनका संग्रह देखने के बाद और बढ़ जाता है।
इस प्रदर्शनी में टाटा परिवार की जो 151 चीजें रखी हैं उनमें चाँदी और हाथी दाँत से बनी कलाकृतियाँ भी हैं। चाँदी से बनी कलाकृतियों में गुजरात के एक मंदिर की छत और मंदिर की प्रतिकृति भी यहाँ रखी हैं। दिल्लीClick here to see more news from this city में 1903 में हुए एक प्रदर्शनी के लिए चंदन की लकड़ी का एक भव्य बक्सा बनाया गया था। बक्से पर की गई कारीगरी को देखने के बाद उस कलाकार की मेहनत को दाद दिए बगैर आगे नहीं बढ़ सकते। खूबसूरत नक्काशी से सजे इस बक्से को प्रदर्शनी में स्वर्ण पदक दिया गया था।
यह बक्सा भी यहाँ रखा गया है। इसके साथ ही यहाँ पश्मिना शॉल, कच्छ, पंजाब के डिजाइनर कपड़े देखने को मिलेंगे। कारीगरों द्वारा इन कपड़ों पर की गई नक्काशी कमाल की है। ब्रह्मदेश, हिमाचल की कलाकृतियाँ भी यहाँ पर हैं। हिमालयन कला को संजोने का काम टाटा ने ही सबसे पहले किया था। हाथी दाँत से बनाई बैलगाड़ी कमाल की है।
इन सबके अलावा इस प्रदर्शनी की खासियत हैं मुगल सम्राट अकबल द्वारा खुद के लिए बनवाया गया कवच और हेलमेट तथा शाहजहाँ और औरंगजेब की तलवारें। इनके बारे में दिलीप रानाडे ने बताया, इन राजाओं के बारे में हमने सिर्फ किताबों में ही पढ़ा है। जब पता चलता है कि यह सम्राट अकबर का कवच है तो दर्शकों को ताज्जुब होता है। इसी तरह जब वह औरंगजेब और शाहजहाँ द्वारा इस्तेमाल की गई तलवारें देखते हैं तो चकित हो जाते हैं। इसके साथ ही यहाँ तोतमुठी (दस्ते पर तोते का मुँह बनाई) तलवार है जो अपने आप में कला का एक अलग नमूना है।
इस तलवार का दस्ता स्फटिक से बनाया गया है। दस्ते पर तोते का मुँह बनाया गया है और उसकी आँख में माणिक लगाए गए हैं और मुँह पर मीनाकारी की गई है। रतन टाटा और दोराबजी टाटा के पिता जमशेद टाटा के बचपन में पहना गया एक ड्रेस भी यहाँ रखा गया है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से पहली बार यह ड्रेस लोगों के सामने लाई गई है।
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