भारतीय कला का उत्कृष्ट नमूना
गायत्री शर्मा
विश्वप्रसिद्ध अंजता-एलोरा की गुफाएँ हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही हैं। यहाँ की सुंदर चित्रकारी व मूर्तियाँ कलाप्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं। हरीतिमा की चादर ओढ़ी यहाँ की चट्टानें अपने भीतर छुपे हुए इतिहास के इस धरोहर की गौरवगाथा बयाँ कर रही हैं। विशालकाय चट्टानें, हरियाली, सुंदर मूर्तियाँ और इस पर यहाँ बहने वाली वाघोरा नदी जैसे यहाँ की खूबसूरती को परिपूर्णता प्रदान करती है।
अजंता-एलोरा की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित हैं। ये गुफाएँ बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएँ अजंता में तथा 34 गुफाएँ एलोरा में हैं। अब इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया जा रहा है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी भारतीय कला की इस उत्कृष्ट मिसाल को देख सके।
अजंता की गुफाएँ :
औरंगाबाद से 101 किमी दूर उत्तर में अजंता की गुफाएँ स्थित हैं। सह्याद्रि की पहाडि़यों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं। इन गुफाओं की खोज आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ व उनके दल द्वारा सन् 1819 में की गई थी। वे यहाँ शिकार करने आए थे तभी उन्हें कतारबद्ध 29 गुफाओं की एक श्रृंखला नजर आई और इस तरह ये गुफाएँ प्रसिद्ध हो गई।
घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाएँ अत्यन्त ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की है। इनमें 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। अजंता की गुफाओं में दीवारों पर खूबसूरत अप्सराओं व राजकुमारियों के विभिन्न मुद्राओं वाले सुंदर चित्र भी उकेरे गए है, जो यहाँ की उत्कृष्ट चित्रकारी व मूर्तिकला के बेहद ही सुंदर नमूने है।
अजंता की गुफाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है। एक भाग में बौद्ध धर्म के हीनयान और दूसरे भाग में महायान संप्रदाय की झलक देखने को मिलती है। हीनयान वाले भाग में 2 चैत्य हॉल (प्रार्थना हॉल) और 4 विहार (बौद्ध भिक्षुओं के रहने के स्थान) है तथा महायान वाले भाग में 3 चैत्य हॉल और 11 विहार है।
ये 19वीं शताब्दी की गुफाएँ है, जिसमें बौद्ध भिक्षुओं की मूर्तियाँ व चित्र है। हथौड़े और चीनी की सहायता से तराशी गई ये मूर्तियाँ अपने आप में अप्रतिम सुंदरता को समेटे है।
एलोरा की गुफाएँ :
औरंगाबाद से 30 किमी दूर एलोरा की गुफाएँ हैं। एलोरा की गुफाओं में 34 गुफाएँ शामिल हैं। ये गुफाएँ बेसाल्टिक की पहाड़ी के किनारे-किनारे बनी हुई हैं। इन गुफाओं में हिंदू, जैन और बौद्ध तीन धर्मों के प्रति दर्शाई आस्था का त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। ये गुफाएँ 350 से 700 ईसा पश्चात के दौरान अस्तित्व में आईं।
दक्षिण की ओर 12 गुफाएँ बौद्ध धर्म (महायान संप्रदाय पर आधारित), मध्य की 17 गुफाएँ हिंदू धर्म और उत्तर की 5 गुफाएँ जैन धर्म पर आधारित हैं। बौद्ध धर्म पर आधारित गुफाओं की मूर्तियों में बुद्ध की जीवनशैली की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। इन्हें देखकर तो यही लगता है मानो ध्यानमुद्रा में बैठे बुद्ध आज भी हमें शांति, सद्भाव व एकता का संदेश दे रहे हैं।
यदि आप भी दुनिया घुमने के शौकीन हैं तथा कलाप्रेमी हैं तो अंजता-एलोरा आपके लिए एक अच्छा पर्यटनस्थल है। यहाँ की गुफाओं में की गई नायाब चित्रकारी व मूर्तिकला अपने आप में अद्वितीय है। इसके साथ ही यहाँ की गुफाएँ धार्मिक सद्माव की अनूठी मिसाल है।
कैसे पहुँचें अजंता-एलोरा :
औरंगाबाद से अजंता की दूरी - 101 किलोमीटर
औरंगाबाद से एलोरा की दूरी - 30 किलोमीटर
मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, नासिक, इंदौर, धूले, जलगाँव, शिर्डी आदि शहरों से औरंगाबाद के लिए बस सुविधा उपलब्ध है। सोमवार का दिन छोड़कर आप कभी भी अंजता- एलोरा जा सकते हैं। औरंगाबाद रेलवे स्टेशन से दिल्ली व मुंबई के लिए ट्रेन सुविधा भी आसानी से मिल जाती है। औरंगाबाद रेलवे स्टेशन के पास महाराष्ट्र पर्यटन विभाग का होटल है। इसके अलावा आप शिर्डी या नासिक में भी रात्रि विश्राम कर सकते हैं।
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