औचक निरीक्षण
विद्यालय में ठीक से पढाई न होने और अध्यापकों द्वारा ट्यूशन-कोचिंग के लिए मजबूर किए जाने की अभिभावकों की शिकायतों से तंग आकर उच्चाधिकारियों ने औचक निरीक्षण की योजना बनायी।
उस दिन विद्यालय में सब कुछ बदला-बदला सा लग रहा था। प्रधानाचार्य अपने कक्ष से विद्यालय के अनुशासन का जायजा ले रहे थे, सभी कक्षाएं सुचारुरूप से चल रही थीं, अलबत्ता छात्रों की संख्या अवश्य बहुत कम थी। विद्यालय पहुंचते ही निरीक्षक दल का पूरे उत्साह से स्वागत किया गया। भेंट-पूजा [उपहार आदि] के साथ ही अच्छी पेट पूजा भी करायी गयी। निरीक्षण आख्या में विद्यालय के अनुशासन और शिक्षण की सराहना करते हुए यहां तक लिख दिया गया कि यहां का अनुसरण करके दूसरे विद्यालय भी आदर्श स्थापित करें। अभिभावकों को अब अपनी भूल का अहसास हो रहा था, अब वे भली प्रकार जान चुके थे कि विद्यालय प्रबंधतंत्र की जडें कितनी गहरी और मजबूत हैं।
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