सोमवार, 23 अगस्त 2010

एहसान

काबिले-ग़ौर है अंग्रेजी का औरतों पर एहसान
जाहिदा हिना
दा पुरानी नहीं, बस सदी-सवा सदी पुरानी बात है, जब हमारे उपमहाद्वीप में क्या हिंदू, क्या मुस्लिम दोनों ही समाजों में लड़कियों की शिक्षा को बहुत बुरा समझा जाता था। कुछ लोगों का ख़्याल था कि लड़कियां पढ़-लिख कर बिगड़ जाएंगी।

अंग्रेजी राज से लाख शिकायतों के बावजूद, हमारे उपमहाद्वीप की हिंदू और मुस्लिम औरतों पर उनका एहसान है कि उन्होंने उनकी तालीम पर जार दिया। 1787 में मद्रास के गवर्नर की बीवी लेडी कैंबल ने हिंदुस्तानी लड़कियों के लिए पहला स्कूल शुरू किया और फिर यह बात इतनी आगे बढ़ी कि राजा राममोहन राय, शेख़ अब्दुल्ला, मौलवी मुमताज अली और दूसरे कई लोगों ने लड़कियों की शिक्षा को फैलाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

उस समय क्या हिंदू और क्या मुस्लिम दोनों ही तरफ़ के रूढ़िवादी लोगों की ओर से यह कहा जाता था कि लड़कियों की अंग्रेजी शिक्षा एक बुराई है, जो अंग्रेजी ने फैलाई है और जिसका मक़सद दोनों समाजों की लड़कियों का धर्म भ्रष्ट करना है। यह बुराई हमारे समाज में इस तेजी से फैली कि देखते ही देखते सिर्फ़ साहित्य के ही क्षेत्र में रुकैया सख़ावत हसमैन, सरोजिनी नायडू, शाइस्ता इकराम उल्लाह, कुर्रतुलऐन हैदर और आज की नस्ल की अरुंधति राय जैसी मशहूर लेखिकाएं पैदा हुईं, जिनका अंग्रेजी दुनिया में भी नाम है।

एक तरफ़ उपमहाद्वीप की औरतों की साहित्य के क्षेत्र में यह सफलता, दूसरी तरफ़ सियासत है, तो इसमें विजय-लक्ष्मी पंडित, इंदिरा गांधी, मिसेज बेनÊाीर भुट्टो के नाम सारी दुनिया में मशहूर हैं। इस व़क्त पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों मुल्कों की स्पीकर महिलाएं ही हैं।

इन सब बातों को देखते हुए इन उग्रवादियों और दहशतगर्दी पर हैरत होती है, जो पिछले आठ-दस वर्षो से पाकिस्तानी लड़कियों की तालीम के पीछे पड़े हुए हैं। स्वात, पेशावर और कई स्थानों पर अब तक लड़कियों के छह-सात सौ स्कूल बमों से उड़ाए जा चुके हैं या जला कर राख किए जा चुके हैं। बाज इलाकों में लोगों ने लड़कियों के स्कूल दोबारा बनाए, तो उन्हें फिर से तबाह कर दिया गया। बहुत से इलाक़ों से पढ़ने वाली औरतों के घरों पर ख़त भेजे गए कि अगर उन्होंने घर से बाहर क़दम निकाला, तो क़त्ल कर दिया जाएगा, उनके चेहरों पर तेजाब फेंक दिया जाएगा। और ऐसा करके दिखाया भी। इसके बावजूद पाकिस्तानी लड़कियां पढ़ रही हैं, पाकिस्तानी औरतें पढ़ रही हैं।

जहां स्कूल दोबारा से नहीं बनाए जा सके, वहां खेमों (तंबू) में कई बड़े घरों में या खुले आसमान के नीचे पढ़ने-पढ़ाने का सिलसिला जारी है। पाकिस्तानी लड़कियों में तालीम के शौक़ का अंदाÊा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज से नहीं साल दर साल से स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में टॉप करती हैं, गोल्ड मैडल और छात्रवृत्तियां लेती हैं, जबकि उनमें से 90 प्रतिशत लड़कियां घर के काम भी करती हैं और उन्हें ऐसी बहुत सी सुविधाएं हासिल नहीं हैं, जो हमारे यहां आमतौर पर, लड़कों को उनका हक़ समझ कर दी जाती हैं।

चंद ह़फ्तों पहले कराची में मैट्रिक साइंस का रिजल्ट आया है। इस इम्तिहान में 68 हजार लड़कों और 53 हजार लड़कियों ने हिस्सा लिया था। इनमें टॉप करने वाली तीनों लड़कियां थीं। 6500 लड़कियों ने ए-1 ग्रेड लिया है, जबकि ए ग्रेड लेने वाले लड़कों की तादाद 4000 थी। मैट्रिक ह्यूमनिटीज का रिजल्ट भी आया है। इसमें भी लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से बेहतर रहा है। इसी तरह लाहौर ग्राम स्कूल की लड़कियों ने नासा से जुड़े जॉनसन स्पेस सेंटर की तरफ़ से होने वाले मुक़ाबले में हिस्सा लिया।

यह मुक़ाबला अंतरिक्ष में इंसानी बस्तियां बनाने की डिजाइन बनाने का था और इस मुक़ाबले में क्वालिफाई करने के लिए हिंदुस्तान में एशियन रीजनल मुक़ाबला हुआ था। जनवरी 2010 में हिंदुस्तान के शहर गुड़गांव में एशिया की 33 टीमों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया था, जिनमें से 15 टीमें हिंदुस्तान और पाकिस्तान की थीं। इसका वर्णन बहुत विस्तृत है, इसीलिए इसमें जाने की बजाय मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि इसमें पाकिस्तानी लड़कियों ने कामयाबी हासिल की और उनके बनाई हुई डिजाइन विशेष रूप से स्वीकृत किए गए।

इससे आप पाकिस्तानी लड़कियों और औरतों में तालीम के साथ-साथ साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में आगे बढ़ने की ख्वाहिश का अंदाज लगा सकते हैं। उधर, लोग अभी कराची से इस्लामाबाद जाने वाली एयर बस के क्रैश का ही शोक माना रहे थे कि इस हादसे के बारे में दर्जनों अफ़वाहों का बाजार गर्म था कि हमारे दरिया गजबनाक हो कर उबल पड़े, बाढ़ हर साल आती है। इससे तबाही भी होती है, लेकिन इस रिकॉर्ड के साथ ही बहुत से बांध भी टूट गए, सैकड़ों, देहात और दर्जनों बड़े क़स्बों और छोटे शहरों को पानी अपने साथ बहा कर ले गया।

सरकार यह कहती है कि अब तक बाढ़ से 25 लाख लोग बेघर हो चुके हैं। दो हजार से Êयादा लोगों की मौत हो चुकी है। लोग कहते हैं कि मरने और बेघर होने वालों की सही तादाद इससे कहीं जयादा है। आफ़त ने पिछले सात दिनों से कराची को घेर लिया है, शहर में बलवाई गोलियां बरसते घूम रहे हैं। प्रोविंशियल एसेंबली के एक मेंबर के क़त्ल के बाद पिछले दिनों में 50 लोग मार दिए गए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सड़कों से ग़ायब हैं। मैं जहां रहती हूं, वहां बलवे का इतना जार है कि इन फ्लैटों के दरवाजे पर लोग मारे गए और दो रातों से सिर्फ़ गोलियां चलने की आवाजे सुनाई दे रही हैं।
ई-1, जुनैद प्लाजा, राशिद मिन्हास रोड, गुलशन-ए-इक़बाल, ब्लॉक-6, कराची-75300 (पाकिस्तान)

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