tag:blogger.com,1999:blog-7609968222073963003.post5454019207978722602..comments2023-05-07T15:33:39.803+05:30Comments on हर्ष: भगवान गणेशशेष नारायण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/17634766491535666484noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7609968222073963003.post-66277063130020938652010-09-11T23:13:27.463+05:302010-09-11T23:13:27.463+05:30स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा: स्वस्ति न: पूषा विश्...स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा: स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा: <br />स्वस्तिनस्ता रक्षो अरिष्टनेमि: स्वस्ति नो बृहस्पर्तिदधातु <br /><br />---श्री जन जी, मेरे विचार से -- उपरोक्त श्लोक में ’स्वस्ति न” का अर्थ है हमारा मंगल करें----बज्र्श्रवा इन्द्र,पूषा, समस्त नक्षत्र गण व ब्रहस्पति---वेदों में मूलतः गणेश का कोई वर्णन नहीं है। गणेश वैदिक देवता नहीं हैं ।डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7609968222073963003.post-45366446326911988812010-09-08T01:33:49.257+05:302010-09-08T01:33:49.257+05:30बहुत सुंदर , लाजवाब .
पोला की बधाई भी स्वीकार क...बहुत सुंदर , लाजवाब .<br /> <br /><br />पोला की बधाई भी स्वीकार करें .ASHOK BAJAJhttps://www.blogger.com/profile/07094278820522966788noreply@blogger.com